I wrote this poem some time time ago for a friend of mine.
She is very special to me
Not like I love her or something, but she is like sunshine in my life
जाना तुझको सागर सा स्थिर,
चेतन सी अचलता ।
पर तू चिड़िया सी है चपल,
है तुझमें नदी सी चंचलता ।।
सुनना चाहूं तुझको , मगर शांत तू रहती,
सुना कहानी मुझको अपनी, जैसे नदी है बहती ।
वेग प्रवाह है तेज़ तेरा मगर छुपाती सबसे,
जान ना पाए कोई तुझे ,मगर बताती मुझसे ।।
सुनूं निरंतर तुझको मै , चिड़िया सी तू चहचहाए,
समझ के मुझको अपना तू बहा मुझे ले जाए ।।
कह दे सारी बातें अपनी , अनंत काल हो जाने दे,
बीते सारा जीवन इसमें, सुबह सांझ हो जाने दे ।।
अथाह समंदर मेरा मन , मै हु गहरे सागर सा ,
ठहर गहर सब जाते मुझमें , कहलाता मैं गागर सा ।।
समा वेग अपना तू मुझमें , तेरा मन पहचानूं मैं ,
चंचल है तू इतनी क्यूं , अविचल मन से जानू मैं ।।
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